Mana se Rāma? (Hindi Poem)



मन से राम?

मन के रावण बहुत जलाए,
बाहर के रिपु मारो तो।
मन से राम बने बैठे हो
बाहर का रण तारो तो।

मन में बंद किए रघुवर को
मन्दिर में बैठाओ तो।
बहुत लड़े मन के रावण से
सम्मुख उसे जलाओ तो।

मन का मनका लगे फेरने,
कर की माला छूट गई।
मन में देवालय गढ़ने को
बलि की वेदी टूट गई।

क्षात्र धर्म है इस दशमी का,
अगले दिन जप लेना नाम।
आज लगाओ तिलक शस्त्र को,
कल मन से बन लेना राम।

शमी, शस्त्र, सीमोल्लङ्घन का
आज पर्व प्राचीन महान।
कौन करेगा सिद्ध इसे जो
हर न सके पुतले के प्राण?

मन के षड् रिपुओं से लड़ना
बहुत सरल है कानन में।
लड़ो, सको यदि, उनसे जो अब
विघ्न डालते पूजन में।

जला दिए देवालय कितने
बङ्गभूमि पर दुष्टों ने।
घेर लिया हिन्दू जनता को
भाँति-भाँति के कष्टों ने।

मन से राम बने बैठे हो,
पहले धनुष उठाओ तो।
राम राज्य आएगा, पहले
अरि को मार गिराओ तो।।

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